Wednesday, May 30, 2018

12-शोहरत की सीढ़ी

पहले ही ई.पी. के साथ अमर सिंह चमकीले ने पंजाबी संगीत की दुनिया में एक तहलका मचा दिया था। कलाकारों ने इस ओर कोई अधिक ध्यान नहीं दिया। या कह लो, वे ध्यान देना नहीं चाहते थे। इस समय स्थापित कलाकारों को चमकीले से कोई अधिक ख़तरा महसूस नहीं हुआ था। चमकीले और सुरिंदर सोनिया के पास कार्यक्रमों की झड़ी लग गई थी। चमकीले के गीत हर तरफ बजने लगे थे। एच.एम.वी. वालों ने तेज़ी के साथ चमकीले के गीत बिकते देखे तो उन्होंने चमकीले को कम से कम बीस गीत और तैयार करने के लिए कह दिया।

चमकीले और सोनिया को कार्यक्रमों से फुरसत नहीं मिलती थी। रिकार्डिंग के लिए तो सोचने का भी उनके पास समय नही होता था। लेकिन चमकीले ने कार्यक्रमों की अपेक्षा रिकार्डिंग करने को तरजीह दी और उसने सोनिया को भी इस तरफ ध्यान देने के लिए कहा था।

समय निकालकर चमकीले ने सोनिया के साथ चार गीत और तैयार किए थे। ‘इक कुड़ती सŸा रंग दी’, ‘बापू साडा गुम्म हो गया’, ‘ठेके ते घर पा लैणा’ और ‘आटे वांगू गुंन्हती बिगाने पुŸा ने’।

‘बापू साडा गुम्म हो गया’ गीत की तैयारी करते समय सोनिया ने झिझकते-झिझकते चमकीले से कहा था, “इस गीत की लाइनें थोड़ी ठंडी कर ले। लोगों को हज़म हो जाएगा?“

चमकीला तुरंत बोल उठा था, “हमारे गाँवों में ऐसा ही कुछ चलता है। लोगों ने तो डकार भी नहीं लेना।“

सोनिया चुप लगा गई थी। सोनिया को ‘आटे वांगू गुन्हती बिगाने पुŸा ने’ वाले गीत से भी हिचकिचाहट थी। लेकिन उसके बारे में उसने चमकीले से कुछ नहीं गया था। जब रिकार्डिंग करवाने गए तो सोनिया बहाने से ज़हीर अहमद को एक तरफ ले गई और बोली, “ज़हीर साहब, यह आटे वांगू गुन्हती वाला गीत नहीं चलेगा। आप इसे रिकार्ड न करो। जवाब दे दो।“

ज़हीर अहमद हँस पड़ा था, “मैडम, मैंने अपनी सारी उम्र इसी इंडस्ट्री में खपा दी है। मुझे पता है, गीत यही चलेगा और सबसे पहले रिकार्ड इसे ही करना है। तुम बेफ्रिक होकर रिकार्ड करवा दो। गीत में कोई खराबी नहीं है। एक नई ब्याहता अपने पुराने आशिक को घुमा फिराकर पीछा छुड़ाने के लिए बता रही है कि वह अपनी ससुराल में खुश है। खाते-पीते ज़मीदार की औरतें सारा दिन कामधंधे में व्यस्त रहने के कारण दबी-मसली पड़ी होती हैं। उनकी हालत को आटे की तरह गूंधने के बिंब रूप में उभारा गया है। क्या बुरा है इसमें?“

कंपनी ने जब यह गीत जारी किए तो बाज़ार में आते ही ये चारों के चारों हिट हो गए थे। चमकीला और सोनिया कार्यक्रमों में और अधिक व्यस्त रहने लग पड़े थे। इस रिकार्डिंग के साथ चमकीला शोहरत की सीढ़ी का एक पायदान और ऊपर चढ़ गया था।

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