सन् 1979 में सुरिंदर शिंदे की कैनेडा टूर के लिए कैनेडा के प्रमोटरों के साथ बात तय हो गई थी। सुरिंदर शिंदे का सैट सुरिंदर सोनिया के साथ था। सुरिंदर सोनिया ने इस टूर के लिए अपने साथ अपने पति कश्मीरी लाल को ले जाने की जिद की थी। प्रबंधक नहीं माने और सुरिंदर शिंदे ने अपने साथ जाने के लिए गुलशन कोमल को तैयार कर लिया था। इस टूर से पहले सुरिंदर शिंदे और सोनिया की रिकार्डिंग भी 20 जून या 20 जुलाई को होनी थी। शिंदे और कोमल ने मिलकर फिर फैसला किया था कि रिकार्डिंग भी वे दोनों ही एकसाथ करेंगे ताकि टूर के दौरान उन्हें अधिक फायदा हो सके।
सुरिंदर शिंदा, गुलशन कोमल के साथ रिकार्डिंग करवाकर उसको अपने साथ कैनेडा ले लिया गया था। सुरिंदर सोनिया का पति कश्मीरी लाल जानता था कि अब उनके पास चमकीले के अलावा दूसरा कोई हल नहीं था। चमकीला, शिंदे के साथ कार्यक्रमों पर साज़ बजाने गया होता तो एक गीत सोनिया के साथ गा लिया करता था। कश्मीरी लाल, चमकीले को खोजता केसर सिंह टिक्की के कमरे में चला गया जहाँ टिक्की के संग चमकीला भी रहता था।
कश्मीरी लाल ने दोनों को दारू पिलाकर अपना दुखड़ा रोया था, “शिंदा तो चला गया है। हम क्या करें? हमारे पास गाने वाला कोई पुरुष गायक नहीं है। हम बगै़र प्रोग्राम के खाली बैठे हैं।“
टिक्की ने झट कह दिया था, “ये अपने पास चमकीला तो है। और, यह लिखता भी है और गाता भी है।“
कश्मीरी लाल उनके मुँह से यही सुनना चाहता था। यह सुनकर कश्मीरी लाल ने न हामी भरी और न ही कोई उचित जवाब दिया था। ऐसा करके उसने अपने लिए कुछ समय मांगा और चला गया था। इस समय के दौरान उसने सोनिया के साथ विचार-विमर्श भी किया था और दूसरी जगहों पर हाथ-पैर भी मारे थे। जब कश्मीरी लाल के हाथ कुछ न लगा तो वह वापस टिक्की के पास आकर बोला था, “टिक्की सैट तो सोनिया के साथ बना लें, पर तुझे क्या लगता है कि यह नया लड़का मार्किट में चल पाएगा?“
केसर टिक्की ने गरजभरी आवाज़ में कहा था, “जब सोनिया के शिंदे के साथ गाए इसके लिखे गाने चले हैं तो यह क्यों नहीं चलेगा? लड़का पूरा शोला है। गजब ढा देगा, गजब।“
कश्मीरी लाल को यह बात दिल पर लग गई थी। वैसे भी उस समय उसके पास कोई अधिक च्वाइस नहीं थी। उस समय से सुरिंदर सोनिया ने प्रोग्रामों में अपने संग अमर सिंह चमकीले को ले जाना प्रारंभ कर दिया था।
सोनिया और चमकीले का काम अच्छा-खासा चलने लग पड़ा था। उधर कश्मीरी लाल को सोनिया के कारण प्रोग्राम मिले और दूसरी तरफ चमकीला अपने रसूख से कम-ज्यादा पेमेंट करके प्रोग्राम खींच लेता था। उन्हें प्रोग्रामों की कोई कमी नहीं रहती थी। एक दिन में दो-दो कार्यक्रम भी मिल जाते थे।
चमकीले के मन में भी जल्द से जल्द रिकार्डिंग करवाने की तमन्ना थी और सोनिया भी शिंदे के साथ अपनी रिकार्डिंग की हसरत रखती थी। दोनों ने रिकार्डिंग की योजना बनाई। चमकीला और टिक्की, सोनिया के किराये वाले मकान में जाकर रिहर्सल करते रहते थे। उन दिनों में कामरेडों के ड्रामों वाले मंचों पर एक गीत बहुत प्रचलित था, “करामात विच पूरे गुरू जी, साडे करामात विच पूरे।“
चमकीले ने इस तर्ज़ पर ‘संता ने पाई फेरी, रहे वसदी नगरी तेरी’ लिख दिया था। उसके बाद ‘भाबिये भैण तेरी नाल दिऊर तेरा, कद खेड्डू कंगणा नी...’, ‘टकूए ते टकूआ खड़के’ और ‘बुड्ढ़ा ना जाणी पट्ट दूँ चगाठ नीं...’ चार गीत लिखकर तैयार किए। इसके अलावा चार और गीत भी चमकीले ने सोनिया को तैयार करवा दिए थे।
आठ गीतों की पूरी तैयारी करने के उपरांत सलाह बनी कि दिल्ली में एच.एम.वी. कंपनी के यहाँ सबसे पहले ट्राई किया जाए। कश्मीरी लाल, सुरिंदर सोनिया, केसर सिंह टिक्की और चमकीला चारों पचास रुपये प्रति सवारी के हिसाब से टैक्सी करके शाम को दिल्ली के दरियागंज इलाके लिए रवाना हो गए थे।
अगली सुबह दस बजे स्टुडियो पहुँचे तो म्युजिक डायरेक्टर चरनजीत आहूजा साहिब आए हुए थे और ज़हीर अहमद ने अभी आना था। चरनजीत आहूजा को चमकीले ने पहले शिंदे के साथ रिकार्डिंग के समय अपने कुछ गीत सुना रखे थे और सोनिया की तो खै़र शिंदे के साथ आहूजा साहब पहले ही रिकार्डिंग कर ही चुके थे।
आहूजा साहब ने सभी के लिए चाय-पानी मंगवा लिया था। अभी वे चाय पी ही रहे थे कि तभी ज़हीर अहमद भी आ गए थे। आहूजा साहब ने ज़हीर अहमद को बताया था, “ये पंजाब से कलाकार आए हुए हैं। इन्हें सुन लो।“
“अभी नए कलाकारों को सुनने का वक्त नहीं।“ कहकर ज़हीर अहमद टाल मटोल करने लगा था।
चरनजीत आहूजा ने ज़हीर अहमद को समझाया कि शिंदे के साथ सोनिया के चमकीले द्वारा लिखे दो गीत पहले ही हिट हो चुके हैं। इसलिए इन्हें सुनने में कोई हर्ज़ नहीं। उस समय किसी अन्य अन्य कलाकार की रिकार्डिंग थी। उस पार्टी को आने में कुछ विलम्ब हो गया तो ज़हीर अहमद चमकीले और सोनिया के गीत सुनने के लिए राज़ी हो गया। यूसफ खान तबला वादक और बसंती ढोलकवाला वहाँ पहुँचे हुए थे।
चमकीले और सोनिया ने तैयार किए चारों गीत सुनाये तो ज़हीर अहमद को पसंद आ गए। चरनजीत आहूजा और यूसफ़ खान ने भी चमकीले की सिफारिश कर दी थी। ज़हीर अहमद ने लगभग महीनाभर बाद की रिकार्डिंग के लिए तारीख़ दे दी। सभी जने खुशी में उछलते-कूदते पंजाब वापस लौट आए थे।
सोनिया के घर ज़ोर-शोर से रिहर्सलें चलती रही थीं। पच्चीस दिनों के बाद मंगलवार के दिन जब रिकार्डिंग करवाने दिल्ली गए तो चमकीले को जुकाम होने के कारण उसकी आवाज़ सैट नहीं थी और उसके गले में खराश आ रही थी।
कश्मीरी लाल और चरनजीत आहूजा दोनों चमकीले को डाॅक्टर के पास ले गए। डाॅक्टर ने पच्चीस रुपये फीस लेकर पचास रुपये की दवाई लिख दी और बनफसां का सेवन और गले को भाप देने की ताकीद की थी। केसर टिक्की और दीपे तूंबी वाले ने बनफसां लाकर चमकीले के गले को भाप दी थी।
अगले दिन चमकीले की आवाज़ में काफ़ी फर्क़ आ गया था। उससे अगले दिन रिकार्डिंग के समय चमकीले का गला सौ फीसदी तो नहीं, पर काफ़ी हद तक ठीक हो गया था। लेकिन फिर भी रिकार्डिंग सुनकर बताया जा सकता है कि चमकीला गीत गाने के समय नज़ले से पीड़ित था।
रिकार्डिंग होने के उपरांत जब सबने उस रिकार्डिंग को सुना तो उसी वक्त ही सबको यकीन था कि ये गीत अवश्य चलेंगे। इस वक्त तक सोनिया के मन में रिकार्डिंग करवाने के लिए धुकधुक थी। लेकिन रिकार्डिंग सुनने के बाद सोनिया ने मन में अरदास की थी कि यह रिकार्डिंग शीघ्र ही लोगों की कचेहरी में पेश हो जाए।
इन चारों गीतों का संगीत चरनजीत आहूजा ने दिया और गीत तैयार करके एच.एम.वी ने रिलीज कर दिए थे। पहले दिन ही ई.पी. दुकान से लाकर चमकीले ने सोनिया के दफ्तर के आगे बड़े स्पीकर लगाकर ऊँची आवाज़ में तवा बजाना शुरू कर दिया था। आसपास के दुकानदारों ने शोर से तंग आकर शिकायत की तो चमकीला मासूस-सा मुँह बनाकर बोला था, “भाई, मुझे तो आज ही लगाने हैं। बाद में तो तुम ही सुना करोगे।“
जब चमकीले ने आवाज़ धीमी न की तो मामला पुलिस तक पहुँच गया था और पुलिस वाले आकर चमकीले के स्पीकरों की आवाज़ कम करवा गए थे। उसके अलग दिन सचमुच ही हर तरफ हट्टियों, भट्ठियों, त्रिझंणों, बंबियों, कारों, ट्रैक्टरों, दुकानों, घरों में स्पीकरों पर ‘टकूए ते टकूआ खड़के’ बज रहा था।
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